Islamic Fiqh Academy
www.islamdharma.org
Islamic Fiqh Academy www.islamdharma.org
  • मुख पृष्ठ
  • एकेश्वरवाद की इस्लामी धारणा
  • पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल॰)
  • इस्लाम
  • ईमान
  • क़ुरआन
  • हदीस
  • इबादत
  • शरीअत
  • English
  • 8802281236

  • ई मेल : islamdharma@gmail.com

इशूज़ (मुद्दे)

सड़क हादसे: ‘ज़मीन पर धीरे चलने’ का...

दुनिया में हरकत खुली हुई सच्चाई है, इसका खुला हुआ सबूत नदी का बहना, समय की रफ़्तार,गति और खुद इंसान के जीवन का आगे बढ़ते रहना है। लेकिन इस हरकत का फ़ायदा और नुक़सान, अच्छाई और बुराई इस बात पर निर्भर करती है कि यह कैसी और कितनी तेज़ है। यही कारण है कि दुनिया के सभी लोगों, समुदायों और समाजों ने इसके संबंध में कुछ न कुछ नियम बनाए हैं। इस के बावजूद इससे होने वाली तबाही पर लगाम नहीं लग पाई है। कारण साफ है कि आम तौर पर लोगों को तेज़ गति पसंद होती है और धीमी गति अच्छी नहीं लगती है। बात यह है कि लोगों को धीमी गति की वजह से चीजों के बिगड़ जाने, अवसरों के हाथ से निकल जाने और अपने मक़सद में असफल होने का डर सताता रहता है। इसे इंसान के आलसी, बीमार और लापरवाह होने की निशानी के रूप में भी देखा जाता है। आम तौर पर, समाज ऐसे इंसान को पसंद भी नहीं करता है जिस की चाल धीमी हो। इसकी जगह तेज़ रफ़्तार......

Read More

ख़ुराफ़ात के पास से वे जब गुज़रते हैं...

ख़ुराफ़ात, बकवास, बेहूदगी चाहे ज़ुबान से हो, मन-मस्तिष्क में उभरे, अमल, चरित्र व किरदार से सामने आए, अपने आप में बुरी ही होती हैं। फिर चाहे 'स्वार्थ' इसे गले लगाए या इसके ज़रिए नुक़सान पहुंचाने की योजना बनाने में लग जाए। चाहे ताक़तवर इसका इस्तेमाल दूसरों को नीचा दिखाने या कोई इसकी मदद से किसी को ज़लील करने की कोशिश करे। इस समय की बड़ी समस्या यह है कि हर तरफ़ का चलन है। चाहें तो चारों ओर आंख उठा कर देख लें। देश के किसी भी कोने में जहां कुछ लोग जमा हों वहां से सिर्फ़ निकर जाईए शायद ही कभी ऐसा हो कि आपको कुछ बकवास, ख़ुराफ़ात और बेहूदगी सुनाई या दिखाई न दे। छोटे छोटे बच्चे इन बातों को देखकर प्रभावित हो रहे हैं। उनके मन-मस्तिष्क उनसे गंदे हो रहे है। वे उन्हें अपना रहे हैं, उन्हें अपने मुंह से निकाल रहे हैं। गलियों, चौराहों, घरों, दुकानों, स्कूलों, कॉलेजों और खेल के मैदानों में......

Read More

भोजन संकट का मूल कारण क्या है?

इंसानी आबादी लंबे समय से एक बड़ी समस्या के रूप में देखी जाती रही है। बताया जा रहा है कि 15/ नवंबर को दुनिया की आबादी 8 अरब हो गई। लेकिन देखने की बात यह है कि दुनिया में ऐसे कई देश हैं जहां आबादी बढ़ाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। नागरिकों को इस के लिए तरह तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। पर ऐसे भी देश हैं जो आबादी के बढ़ने को समस्या मानते हैं। ख़ुद हमारे देश में भी आबादी के बढ़ने को चिंता का विषय मानने का रुझान आम है। बड़े दावे से यह बात कही जा रही है कि 2023 में हमारा देश दुनिया में सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश बन जाए गा। दावे तो इस से भी आगे के किए जा रहे हैं कि 50-80 साल बाद आबादी इतनी और इतनी हो जाए गी। इसके लिए ‘आबादी धमाका’ की इस्तेलाह भी बिला तकल्लुफ़ इस्तेमाल कर ली जाती है। इस मामले में मज़हब को शामिल करने की भी कोशिश की जाती है। इस मुद्दे पर एक ख़ास मज़हब के मानने वालों को भी......

Read More

रहमान के बंदे किसी जान को नाहक़ क़त्ल...

बात-बे बात इंसान की जान लेना बहुत आसान माना जाने लगा है। नौ जात बच्चों या गर्भ में ही बच्चों को मार दिया जाता है। आपसी लड़ाई-झगड़े, रंजिश, लालच, लूटपाट, फ़ितना-फ़साद, नफ़रत और हिंसक मानसिकता की वजह से इंसानी जान चली जाती है। कभी भी, कहीं भी, किसी को भी मार दिया जाता है। इस तरह का चलन आम बात बनती जा रही है। इसे देखकर साफ़ समझ में आता है कि समाज विनाश के मुहाने पर खड़ा है। आक्रामक नफ़सियात ने लोगों को जकड़ लिया है। लोग छोटी-छोटी बात पर आपा खो बैठते हैं। नसें तन जाती हैं और बात इंसानी जानों को लेने तक पहुंच जाती है। किसी भी दिन का अख़बार उठा कर देख लें। क़त्ल के वाक़यात एक नहीं बहुत बड़ी तादाद में मिल जाएंगे। अगर सिर्फ़ एक दिन के सभी अख़बारों और सभी मीडिया स्रोतों को खंगाल डाला जाए और क़त्ल के वाक़यात को जमा किया जाए, तो जो तादाद सामने आए गी वह बहुत ज़्यादा होगी। और फिर......

Read More

गरीबी और भुखमरी

वैश्विक भूख सूचकांक 2021 के अनुसार हमारा देश पिछले एक वर्ष में 116 देशों की सूची में 94 से गिरकर 101वें स्थान पर आ गया है। कोरोना की महामारी तीन वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था और लोगों की आर्थिक स्थिति में गिरावट का बड़ा कारण बनी है। परन्तु ग़रीबी और भुखमरी का सबसे बड़ा कारण लोग देश में तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसँख्या को मानते हैं और समय-समय पर इसको नियंत्रित करने का क़ानून बनाने की मांग उठाते रहते हैं। देश की जनसँख्या इस समय 140 करोड़ का आंकड़ा पार करने की ओर अग्रसर है और यह सम्भावना भी देखी जा रही है कि भारत अपने पड़ोसी चीन को पछाड़ता हुआ प्रथम स्थान प्राप्त कर लेगा। 1975 से ही इसपर नियंत्रण के अनेकों प्रयत्न किए गए हैं परन्तु कोई सफ़लता हाथ नहीं लगी है। ऐसे में कोई नया प्रयत्न कितना सफ़ल हो पाएगा यह तो समय ही बताएगा। एक प्रश्न है जिसपर कम ही विचार किया जाता है। गरीबी का असल कारण......

Read More

इस्लाम मे पर्यावरण संरक्षण

पेड़ पौधों के बारे मे हजरत मुहम्मद सल्लo ने पेड़ पौधे लगाने की प्रेरणा जिन शब्दों मे दी है वह सुनहरे अक्षरों मे योग्य है _ "अगर प्रलय सामने हो, किसी के हाथ मे पौधा बोने के लिए हो और उसे बोने के लिए शक्ति हो तो पौधा लगा दे" (हदीस)ऊपर उल्लेख हो चुका है कि मुहम्मद सल्लo ने सुरक्षित वन क्षेत्र स्थापित किया था, जो जीवधारी तथा वनस्पति दोनों के संरक्षण हेतु था l साधारणतया युद्धकाल मे पेड़ पौधों की कोई चिन्ता नहीं करता, बल्कि उस समय दुश्मन की फसलों और बागों को तबाह करने का चलन आम था l ऐसे मे आप सल्लo ने युद्ध के दौरान पालतू जानवरों को मारने, खेती तबाह व बर्बाद करने और पर पेड़ों को काटने से मना किया l (हदीस : अबु दाऊद)इस्लामी राज्य के प्रथम खलीफा हजरत अबु बकर सिद्दीक रज़ीo सेना को जो निर्देश देते थे, उन मे से एक ये भी था कि फलदार पेड़ों को ना काटे और हरे भरे स्थान ना जलाये l स्पष्ट......

Read More

बढ़ती जनसंख्या: वरदान या अभिशाप?

देश की जनसँख्या इस समय 137 करोड़ के लगभग है और चीन के बाद भारत विश्व में दुसरे स्थान पर है। 2011 की जनगणना में वृद्धि-दर में 3.84% की कमी देखी गई परन्तु फ़िर भी अनुमान है की 2024 तक भारत चीन को पीछे छोड़ता हुआ सर्वाधिक जनसँख्या वाला देश बनने का गौरव प्राप्त कर लेगा। भारत का क्षेत्रफल पूरे विश्व का मात्र 2.4% है, परन्तु इसपर विश्व की लगभग 18% जनसँख्या आबाद है। यही कारण है की लोगों में सदा यह आशंका बनी रहती है की  तेज़ी से बढती हुई जनसंख्या से ग़रीबी में वृद्धि होगी, देश के सकल घरेलु उत्पाद(जीडीपी) में कमी आएगी, विकास-दर भी धीरी रहेगी और देश एक बेहतर कल से वंचित रह जाएगा।    इधर पिछले एक-दो वर्षों से देश में बढ़ती हुई जनसंख्या फ़िर से चर्चा का विषय बन गई है और चारों ओर से आवाजें उठने लगी हैं की सरकार इसको रोकने के लिए प्रभावशाली क़दम उठाए। इसी को देखते हुए अप्रैल 2017 में असम सरकार की ओर से......

Read More

युद्ध में उदारता की इस्लामी शिक्षाएं

इंसानी समाज कभी युद्ध से ख़ाली नहीं रहा है। चौदहवीं शताब्दी के प्रसिद्ध विद्वान् और इतिहासकार इब्ने ख़लदून अपनी विश्वविख्यात पुस्तक ‘मुक़द्दमा’ में लिखते हैं कि, “अल्लाह ने जब से इस संसार की रचना की है तभी से यहाँ जंगें और लड़ाइयाँ होती आ रही हैं।“ वह अपने विचार व्यक्त करते हुए आगे कहते हैं कि, “युद्ध मानव प्रकृति का एक हिस्सा है और कोई समुदाय और गिरोह इससे बचा हुआ नहीं है।“  युद्ध क्यों?युद्ध क्यों होते हैं? एक राष्ट्र दुसरे राष्ट्र पर आक्रमण क्यों करता है? यह और इस प्रकार के बहुत सारे प्रश्न हैं जिनका उत्तर इंसान ढूंढता रहता है, पर कहीं से कोई संतोषजनक बात सामने नहीं आती। ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी के अनुसार युद्ध की परिभाषा इस प्रकार है: 1. सशस्त्र संघर्ष विभिन्न राष्ट्रों के बीच या किसी देश के विभिन्न समूहों के बीच।2. विभिन्न लोगों या समूहों के बीच......

Read More

इस्लाम और आतंकवाद

इस्लाम दया और कृपा का धर्म है। अल्लाह ने अपनी किताब में ‘रहमत’, ‘दयालुता’ को हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) की रिसालत का शीर्षक बनाया है।“हे नबी, हमने तो तुमको दुनिया वालों के लिए दयालुता बनाकर भेजा है।”(क़ुरआन, 21:107)इसी तरह रसूल (सल्ल॰) ने अपना परिचय देते हुए फ़रमाया—“मैं उपहार में दी गई ‘रहमत’ दयालुता हूं।” (किताबुल ईमान : 100)इसी लिए मुसलमानों में अपने पैग़म्बर को ‘‘मुहम्मद नबी-ए-रहमत” के नाम से याद करना लोकप्रिय रहा है।अल्लाह ने भी आप (सल्ल॰) के इस गुण की चर्चा की है।“हे पैग़म्बर, यह अल्लाह की बड़ी दयालुता है कि तुम इन लोगों के लिए बहुत नर्म स्वभाव के हो। अन्यथा यदि कहीं तुम क्रूर स्वभाव के कठोर हृदय के होते तो यह सब तुम्हारे आसपास से छंट जाते।” (क़ुरआन, 3:159)दया की प्रेरणा देने वाली अनेक अहादीस नबी (सल्ल॰) से रिवायत की गई हैं—“दया करने वालों पर अल्लाह......

Read More

समलैंगिकता

समलैंगिकताखाने और कपड़े की तरह काम वासना भी मनुष्य की मौलिक आवश्यकता है, जिसकी पूर्ति मनुष्य की स्वाभाविक मांग है । ईश्वर ने मनुष्य के लिए जो जीवन व्यवस्था निर्धारित की है उसमें उसकी इस स्वाभाविक मांग की पूर्ति की भी विशेष व्यवस्था की है । ईश्वर ने अपनी अन्तिम पुस्तक में मनुष्य को कई स्थानों पर निकाह करने के आदेश दिये हैं । ईश्वरीय मार्गदर्शन को मनुष्यों तक पहुंचाने वाले अल्लाह के आख़िरी रसूल हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) ने भी निकाह को अपना तरीक़ा बताया है और कहा है कि जो ऐसा नहीं करता है वह हम में से नहीं । इतना ही नहीं ईश्वरीय जीवन व्यवस्था में इसका भी ध्यान रखा गया है कि कुछ लोगों की कामवासना की तृप्ति एक निकाह से नहीं हो सकती है, तो उनके लिए कुछ शर्तों के साथ एक से अधिक (अधिकतम चार) निकाह करने के द्वारा भी खुले रखे गये हैं । इतना कुछ करने के बाद दूसरे सभी यौनाचारों को......

Read More

यौन-अपराध (Sex-Crimes)

यौन-अपराध (Sex-Crimes)वर्तमान सभ्यता अपनी ही पैदा की हुई जिन बड़ी-बड़ी त्रासदियों (Tragedies) और अत्यंत घातक समस्याओं से जूझ रही है, उनकी सूची में यौन-अनाचार एवं यौन-अपराध को शीर्ष-स्थान पर रखा जा सकता है। इस विषय में हमारे देश में वस्तुस्थिति ‘ख़तरे के निशान' को पार करती दिख रही है। तत्संबंधित सरकारी महकमों से जारी वार्षिक आंकड़ों और मीडिया द्वारा मिलने वाली सूचनाओं से अनुमान होता है कि जब यौन-अपराध की उन घटनाओं की संख्या जिनकी रिपोर्ट पुलिस विभाग में दर्ज होती या दर्ज कराई जाती है इतनी अधिक है तो फिर उनकी अस्ल संख्या कितनी ज़्यादा होगी! छेड़-छाड़ (Eve-teasing), शारीरिक छेड़ख़ानी (Molestation), बलात्कार (Rape), अपहरण और बलात् दुष्कर्म के बाद हत्या, भाई-बहन तथा बाप-बेटी के पवित्र रिश्तों की टूट-पू$ट, छः महीने की शिशु से लेकर अस्सी साल की वृद्धा तक के साथ दुष्कर्म, अनैतिक यौन-संबंधी क़त्ल और फ़साद,......

Read More
  • PREV
  • 1 
  • NEXT

Our Link

  • ABOUT US
  • Contact Us

Contact us

  • D-321, Abul Fazl Enclve
    Jamia Nagar, New Delhi-110025

  • 8802281236

  • ई मेल : islamdharma@gmail.com

Address

2018 www-ko0z8.hosts.cx Powered by | C9Soft Pvt Ltd