अल्लाह ने सिर्फ कुरआन की हिफाज़त की...
अल्लाह बेशक अन्तर्यामी (अर्थात सर्वञाता ) है . उसे मालूम था कि उसकी अवतरित वाणी में लोग कमी-बेशी कर देंगे, कुछ को भूल जाएंगे, कुछ वाणियों पर दीर्घकालिक गर्द जमते जमते वे इतिहास के अन्धकार में विलुप्त भी हो जाएंगी। अल्लाह ईश्वर अन्तर्यामी ( सर्वज्ञाता ) होने के साथ-साथ सर्वसक्षम, सर्वसमर्थ, सर्व-शक्तिसंपन्न भी है. वो चाहता तो ऐसे संसाधन, परिस्थितियां, तथा ऐसे निष्ठावान मनुष्य पैदा कर देता जो अपने-अपने समय की ईशवाणी को सुरक्षित कर लेते। परन्तु ईश्वर सर्व-तत्वदर्शी (All- Wise) भी है. उसे पूर्णरूपेण ज्ञात था कि अपनी किस वाणी को सुरक्षित नहीं रखना है और किसे रखना है। अतः उसकी अपार तत्वदर्शिता (Absolute Wisdom) के अनुकूल ही,, उसकी जो वाणी किसी विशेष क्षेत्र-सीमा में बसी हुई, किसी विशेष समय-काल तक मौजूद रहने वाली, अपरिपक्व सभ्यता-संस्कृति की स्तिथि में रहने वाली, तथा कुछ विशेष,......
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