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ग़ैर-मुस्लिम विद्वानों के विचार

ग़ैर-मुस्लिम विद्वानों के विचार

  इस्लाम के बारे में दुनिया के बेशुमार विद्वानों, विचारकों, साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों और इतिहासकारों आदि ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। इनमें हर धर्म, जाति, क़ौम और देश के लोग रहे हैं। यहाँ उनमें से सिर्फ़ भारतवर्ष के कुछ विद्वानों के विचार उद्धृत किए जा रहे हैं:

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स्वामी विवेकानंद (विश्व-विख्यात...

स्वामी विवेकानंद (विश्व-विख्यात धर्मविद्)‘‘...मुहम्मद (इन्सानी) बराबरी, इन्सानी भाईचारे और तमाम मुसलमानों के भाईचारे के पैग़म्बर थे। ...जैसे ही कोई व्यक्ति इस्लाम स्वीकार करता है पूरा इस्लाम बिना किसी भेदभाव के उसका खुली बाहों से स्वागत करता है, जबकि कोई दूसरा धर्म ऐसा नहीं करता। ...हमारा अनुभव है कि यदि किसी धर्म के अनुयायियों ने इस (इन्सानी) बराबरी को दिन-प्रतिदिन के जीवन में व्यावहारिक स्तर पर बरता है तो वे इस्लाम और सिर्फ़ इस्लाम के अनुयायी हैं। ...मुहम्मद ने अपने जीवन-आचरण से यह बात सिद्ध कर दी कि मुसलमानों में भरपूर बराबरी और भाईचारा है। यहाँ वर्ण, नस्ल, रंग या लिंग (के भेद) का कोई प्रश्न ही नहीं। ...इसलिए हमारा पक्का विश्वास है कि व्यावहारिक इस्लाम की मदद लिए बिना वेदांती सिद्धांत-चाहे वे कितने ही उत्तम और अद्भुत हों-विशाल मानव-जाति के लिए मूल्यहीन (Valueless)......

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रामधारी सिंह दिनकर (प्रसिद्ध...

रामधारी सिंह दिनकर (प्रसिद्ध साहित्यकार और इतिहासकार)जब इस्लाम आया, उसे देश में फैलने से देर नहीं लगी। तलवार के भय अथवा पद के लोभ से तो बहुत थोड़े ही लोग मुसलमान हुए, ज़्यादा तो ऐसे ही थे जिन्होंने इस्लाम का वरण स्वेच्छा से किया। बंगाल, कश्मीर और पंजाब में गाँव-के-गाँव एक साथ मुसलमान बनाने के लिए किसी ख़ास आयोजन की आवश्यकता नहीं हुई। ...मुहम्मद साहब ने जिस धर्म का उपदेश दिया वह अत्यंत सरल और सबके लिए सुलभ धर्म था। अतएव जनता उसकी ओर उत्साह से बढ़ी। ख़ास करके, आरंभ से ही उन्होंने इस बात पर काफ़ी ज़ोर दिया कि इस्लाम में दीक्षित हो जाने के बाद, आदमी आदमी के बीच कोई भेद नहीं रह जाता है। इस बराबरी वाले सिद्धांत के कारण इस्लाम की लोकप्रियता बहुत बढ़ गई और जिस समाज में निम्न स्तर के लोग उच्च स्तर वालों के धार्मिक या सामाजिक अत्याचार से पीड़ित थे उस समाज के निम्न स्तर के लोगों के......

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अन्नादुराई (डी॰एमके॰ के संस्थापक,...

 ‘‘इस्लाम के सिद्धांतों और धारणाओं की जितनी ज़रूरत छठी शताब्दी में दुनिया को थी, उससे कहीं बढ़कर उनकी ज़रूरत आज दुनिया को है, जो विभिन्न विचारधाराओं की खोज में ठोकरें खा रही है और कहीं भी उसे चैन नहीं मिल सका है।इस्लाम केवल एक धर्म नहीं है, बल्कि वह एक जीवन-सिद्धांत और अति उत्तम जीवन-प्रणाली है। इस जीवन-प्रणाली को दुनिया के कई देश ग्रहण किए हुए हैं।जीवन-संबंधी इस्लामी दृष्टिकोण और इस्लामी जीवन-प्रणाली के हम इतने प्रशंसक क्यों हैं? सिर्फ़ इसलिए कि इस्लामी जीवन-सिद्धांत इन्सान के मन में उत्पन्न होने वाले सभी संदेहों ओर आशंकाओं का जवाब संतोषजनक ढंग से देते हैं।अन्य धर्मों में शिर्व$ (बहुदेववाद) की शिक्षा मौजूद होने से हम जैसे लोग बहुत-सी हानियों का शिकार हुए हैं। शिर्क के रास्तों को बन्द करके इस्लाम इन्सान को बुलन्दी और उच्चता प्रदान करता है और पस्ती और......

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प्रोफ़ेसर के॰ एस॰ रामाकृष्णा राव...

प्रोफ़ेसर के॰ एस॰ रामाकृष्णा राव (अध्यक्ष, दर्शन-शास्त्र विभाग, राजकीय कन्या विद्यालय मैसूर, कर्नाटक)‘‘पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल॰) की शिक्षाओं का ही यह व्यावहारिक गुण है, जिसने वैज्ञानिक प्रवृत्ति को जन्म दिया। इन्हीं शिक्षाओं ने नित्य के काम-काज और उन कामों को भी जो सांसारिक काम कहलाते हैं आदर और पवित्राता प्रदान की। क़ुरआन कहता है कि इन्सान को ख़ुदा की इबादत के लिए पैदा किया गया है, लेकिन ‘इबादत' (पूजा) की उसकी अपनी अलग परिभाषा है। ख़ुदा की इबादत केवल पूजा-पाठ आदि तक सीमित नहीं, बल्कि हर वह कार्य जो अल्लाह के आदेशानुसार उसकी प्रसन्नता प्राप्त करने तथा मानव-जाति की भलाई के लिए किया जाए इबादत के अंतर्गत आता है। इस्लाम ने पूरे जीवन और उससे संबद्ध सारे मामलों को पावन एवं पवित्र घोषित किया है। शर्त यह है कि उसे ईमानदारी, न्याय और नेकनियती के साथ किया जाए।......

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वेनगताचिल्लम अडियार

वेनगताचिल्लम अडियारजन्म: 16, मई 1938● वरिष्ठ तमिल लेखक; न्यूज़ एडीटर: दैनिक ‘मुरासोली'● तमिलनाडु के 3 मुख्यमंत्रियों के सहायक● कलाइममानी अवार्ड (विग जेम ऑफ आर्ट्स) तमिलनाडु सरकार; पुरस्कृत 1982● 120 उपन्यासों, 13 पुस्तकों, 13 ड्रामों के लेखक● संस्थापक, पत्रिका ‘नेरोत्तम'‘‘औरत के अधिकारों से अनभिज्ञ अरब समाज में प्यारे नबी (सल्ल॰) ने औरत को मर्द के बराबर दर्जा दिया। औरत का जायदाद और सम्पत्ति में कोई हक़ न था, आप (सल्ल॰) ने विरासत में उसका हक़ नियत किया। औरत के हक़ और अधिकार बताने के लिए क़ुरआन में निर्देश उतारे गए।माँ-बाप और अन्य रिश्तेदारों की जायदाद में औरतों को भी वारिस घोषित किया गया। आज सभ्यता का राग अलापने वाले कई देशों में औरत को न जायदाद का हक़ है न वोट देने का। इंग्लिस्तान में औरत को वोट का अधिकार 1928 ई॰ में पहली बार दिया गया। भारतीय समाज में औरत को जायदाद का हक़ ......

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विशम्भर नाथ पाण्डे भूतपूर्व...

विशम्भर नाथ पाण्डे भूतपूर्व राज्यपाल, उड़ीसाक़ुरआन ने मनुष्य के आध्यात्मिक, आर्थिक और राजकाजी जीवन को जिन मौलिक सिद्धांतों पर क़ायम करना चाहा है उनमें लोकतंत्र को बहुत ऊँची जग हदी गई है और समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व-भावना के स्वर्णिम सिद्धांतों को मानव जीवन की बुनियाद ठहराया गया है।क़ुरआन ‘‘तौहीद'' यानी एकेश्वरवाद को दुनिया की सबसे बड़ी सच्चाई बताता है। वह आदमी की ज़िन्दगी के हर पहलू की बुनियाद इसी सच्चाई पर क़ायम करता है। क़ुरआन का कहना है कि जब कुल सृष्टि का ईश्वर एक है तो लाज़मी तौर पर कुल मानव समाज भी उसी ईश्वर की एकता का एक रूप है। आदमी अपनी बुद्धि और अपनी आध्यात्मिक शक्तियों से इस सच्चाई को अच्छी तरह समझ सकता इै। इसलिए आदमी का सबसे पहला कर्तव्य यह है कि ईश्वर की एकता को अपने धर्म-ईमान की बुनियाद बनाए और अपने उस मालिक के सामने, जिसने उसे पैदा किया और दुनिया......

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तरुण विजय सम्पादक, हिन्दी साप्ताहिक...

तरुण विजय सम्पादक, हिन्दी साप्ताहिक ‘पाञ्चजन्य' (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पत्रिका)‘‘...क्या इससे इन्कार मुम्किन है कि पैग़म्बर मुहम्मद एक ऐसी जीवन-पद्धति बनाने और सुनियोजित करने वाली महान विभूति थे जिसे इस संसार ने पहले कभी नहीं देखा? उन्होंने इतिहास की काया पलट दी और हमारे विश्व के हर क्षेत्र पर प्रभाव डाला। अतः अगर मैं कहूँ कि इस्लाम बुरा है तो इसका मतलब यह हुआ कि दुनिया भर में रहने वाले इस धर्म के अरबों (Billions) अनुयायियों के पास इतनी बुद्धि-विवेक नहीं है कि वे जिस धर्म के लिए जीते-मरते हैं उसी का विश्लेषण और उसकी रूपरेखा का अनुभव कर सवें$। इस धर्म के अनुयायियों ने मानव-जीवन के लगभग सारे क्षेत्रों में बड़ा नाम कमाया और हर किसी से उन्हें सम्मान मिला...।''‘‘हम उन (मुसलमानों) की किताबों का, या पैग़म्बर के जीवन-वृत्तांत का, या उनके विकास व उन्नति के इतिहास का......

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एम॰ एन॰ रॉय संस्थापक-कम्युनिस्ट...

एम॰ एन॰ रॉय संस्थापक-कम्युनिस्ट पार्टी, मैक्सिको कम्युनिस्ट पार्टी, भारत‘‘इस्लाम के एकेश्वरवाद के प्रति अरब के बद्दुओं के दृढ़ विश्वास ने न केवल क़बीलों के बुतों को ध्वस्त कर दिया बल्कि वे इतिहास में एक ऐसी अजेय शक्ति बनकर उभरे जिसने मानवता को बुतपरस्ती की लानत से छुटकारा दिलाया। ईसाइयों के, संन्यास और चमत्कारों पर भरोसा करने की घातक प्रवृत्ति को झिकझोड़ कर रख दिया और पादरियों और हवारियों (मसीह के साथियों) के पूजा की कुप्रथा से भी छुटकारा दिला दिया।''‘‘सामाजिक बिखराव और आध्यात्मिक बेचैनी के घोर अंधकार वाले वातावरण में अरब के पैग़म्बर की आशावान एवं सशक्त घोषणा आशा की एक प्रज्वलित किरण बनकर उभरी। लाखों लोगों का मन उस नये धर्म की सांसारिक एवं पारलौकिक सफलता की ओर आकर्षित हुआ। इस्लाम के विजयी बिगुल ने सोई हुई निराश ज़िन्दगियों को जगा दिया।......

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राजेन्द्र नारायण लाल (एम॰ ए॰ (इतिहास)...

राजेन्द्र नारायण लाल (एम॰ ए॰ (इतिहास) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)‘‘...संसार के सब धर्मों में इस्लाम की एक विशेषता यह भी है कि इसके विरुद्ध जितना भ्रष्ट प्रचार हुआ किसी अन्य धर्म के विरुद्ध नहीं हुआ । सबसे पहले तो महाईशदूत मुहम्मद साहब की जाति कु़रैश ही ने इस्लाम का विरोध किया और अन्य कई साधनों के साथ भ्रष्ट प्रचार और अत्याचार का साधन अपनाया। यह भी इस्लाम की एक विशेषता ही है कि उसके विरुद्ध जितना प्रचार हुआ वह उतना ही फैलता और उन्नति करता गया तथा यह भी प्रमाण है-इस्लाम के ईश्वरीय सत्य-धर्म होने का। इस्लाम के विरुद्ध जितने प्रकार के प्रचार किए गए हैं और किए जाते हैं उनमें सबसे उग्र यह है कि इस्लाम तलवार के ज़ोर से फैला, यदि ऐसा नहीं है तो संसार में अनेक धर्मों के होते हुए इस्लाम चमत्कारी रूप से संसार में कैसे फैल गया? इस प्रश्न या शंका का संक्षिप्त उत्तर तो यह......

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लाला काशी राम चावला

लाला काशी राम चावला‘‘...न्याय ईश्वर के सबसे बड़े गुणों में से एक अतिआवश्यक गुण है। ईश्वर के न्याय से ही संसार का यह सारा कार्यालय चल रहा है। उसका न्याय सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के कण-कण में काम कर रहा है। न्याय का शब्दिक अर्थ है एक वस्तु के दो बराबर-बराबर भाग, जो तराज़ू में रखने से एक समान उतरें, उनमें रत्ती भर फ़र्व़$ न हो और व्यावहारतः हम इसका मतलब यह लेते हैं कि जो बात कही जाए या जो काम किया जाए वह सच्चाई पर आधारित हो, उनमें तनिक भी पक्षपात या किसी प्रकार की असमानता न हो...।''‘‘...इस्लाम में न्याय को बहुत महत्व दिया गया है और कु़रआन में जगह-जगह मनुष्य को न्याय करने के आदेश मौजूद हैं। इसमें जहाँ गुण संबंधी ईश्वर के विभिन्न नाम आए हैं, वहाँ एक नाम आदिल अर्थात् न्यायकर्ता भी आया है। ईश्वर चूँकि स्वयं न्यायकर्ता है, वह अपने बन्दों से भी न्याय की आशा रखता है। पवित्र क़ुरआन......

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पेरियार ई॰ वी॰ रामास्वामी (राज्य...

पेरियार ई॰ वी॰ रामास्वामी (राज्य सरकार द्वारा पुरस्कृत, द्रविड़ प्रबुद्ध विचारक, पत्रकार, समाजसेवक व नेता, तमिलनाडु)‘‘...हमारा शूद्र होना एक भयंकर रोग है, यह कैंसर जैसा है। यह अत्यंत पुरानी शिकायत है। इसकी केवल एक ही दवा है, और वह है इस्लाम। इसकी कोई दूसरी दवा नहीं है। अन्यथा हम इसे झेलेंगे, इसे भूलने के लिए नींद की गोलियाँ लेंगे या इसे दबा कर एक बदबूदार लाश की तरह ढोते रहेंगे। इस रोग को दूर करने के लिए उठ खड़े हों और इन्सानों की तरह सम्मानपूर्वक आगे बढ़ें कि केवल इस्लाम ही एक रास्ता है...।''‘‘...अरबी भाषा में इस्लाम का अर्थ है शान्ति, आत्म-समर्पण या निष्ठापूर्ण भक्ति। इस्लाम का मतलब है सार्वजनिक भाईचारा, बस यही इस्लाम है। सौ या दो सौ वर्ष पुराना तमिल शब्द-कोष देखें। तमिल भाषा में कदावुल देवता (Kadavul) का अर्थ है एक ईश्वर, निराकार, शान्ति, एकता, आध्यात्मिक समर्पण एवं......

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