अल्लाह रखा रहमान
(A. R. Rahman)
(प्रसिद्ध, ऑस्कर अवार्ड'-पुरस्कृत संगीतकार,
जन्म 6 जनवरी 1966, चेन्नई, तमिलनाडु)
यह 1989 की बात है जब मैंने और मेरे परिवार ने इस्लाम स्वीकार किया। मैं जब 9 साल का था तब ही एक रहस्यमयी बीमारी से मेरे पिता गुज़र गए थे। ज़िन्दगी में कई मोड़ आए। वर्ष 1988 की बात है जब मैं मलेशिया में था। मुझे सपने में एक बुज़ुर्ग ने इस्लाम धर्म अपनाने के लिए कहा। पहली बार मैंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन यही सपना मुझे कई बार आया। मैंने यह बात अपनी माँ को बताई। माँ ने मुझे प्रोत्साहित किया और कहा कि मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर के इस बुलावे पर ग़ौर और फ़िक्र करूँ। इस बीच 1988 में मेरी बहन गंभीर रूप से बीमार हो गई। परिवार की ओर से इलाज की पूरी कोशिशों के बावजूद उसकी बीमारी बढ़ती ही चली गई। इस दौरान हमने एक मुस्लिम धार्मिक रहबर की अगुआई में अल्लाह से दुआ की। अल्लाह ने हमारी सुन ली और आश्चर्यजनक रूप से मेरी बहन ठीक हो गई। इस तरह मैं दिलीप कुमार से ए॰ आर॰ रहमान बन गया। इस्लाम क़ुबूल करने का फै़सला अचानक नहीं लिया गया बल्कि इसमें हमें दस साल लगे। यह फै़सला मेरा और मेरी माँ दोनों का सामूहिक फै़सला था। हम दोनों सर्वशक्तिमान ईश्वर की शरण में आना चाहते थे। अपने दुख दूर करना चाहते थे। शुरू में कुछ शक और आशंकाएँ दूर करने के बाद मेरी तीनों बहनों ने भी इस्लाम स्वीकार कर लिया।
मैं आर्टिस्ट हूँ और काम के भयंकर दबाव के बावजूद मैं पांचों वक़्त की नमाज़ अदा करता हूँ। नमाज़ से मैं तनाव-मुक्त रहता हूँ और मुझ में उम्मीद व हौसला बना रहता है कि मेरे साथ अल्लाह है । नमाज़ मुझे यह एहसास भी दिलाती रहती है कि यह दुनिया ही सब कुछ नहीं है, मौत के बाद सबका हिसाब लिया जाना है ।
इस साल (2008) मेरे जन्मदिन 6 जनवरी को अल्लाह ने मुझे मदीने में रहकर पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) की मस्जिद में इबादत करने का अनूठा इनाम दिया । मेरे लिए इससे बढ़कर कोई और इनाम हो ही नहीं सकता था। मुझे बहुत ख़ुशी है और मैं ख़ुदा का लाख-लाख शुक्र अदा करता हूँ।
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