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परिप्रश्न

तलाक़ : औरत पर ज़ुल्म?

‘‘इस्लाम में तलाक़ का प्रावधान है जो व्यक्तिगत स्तर पर पत्नी पर, और सामाजिक स्तर पर नारी-जाति पर अत्याचार है। व्यापक क्षेत्र में यह लिंग-समानता (Gender Equality) के भी विरुद्ध है क्योंकि औरत को, तलाक़ देने का हक़ प्राप्त नहीं है; इस प्रकार, कुल मिलाकर यह नारी-अधिकार-हनन भी है।’’●●●इस्लाम वास्तव में एक संपूर्ण जीवन व्यवस्था है। व्यक्तिगत, दाम्पत्य, पारिवारिक और सामाजिक, सारे पहलू तथा इनके वैचारिक, धार्मिक आध्यात्मिक, नैतिक, भावनात्मक तथा आर्थिक और क़ानूनी एवं न्यायिक...सारे आयाम एक दूसरे से अभाज्य रूप से संबद्ध, संलग्न और इस प्रकार अन्तर्संबंधित कि जीवन के किसी एक विशेष अंग, अंश, पक्ष या आयाम को ‘समग्रता’ (Totality) से अलग करके नहीं समझा जा सकता। उपरोक्त भ्रम या आक्षेप, ‘समग्रता’ से ‘अंश’ को पृथक (Isolate) करके देखने से पैदा होते हैं। आक्षेप का एक कारण यह भी है कि ‘कुछ......

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बहुपत्नीत्व-नारी-जाति पर अत्याचार?

इस्लाम में बहुपत्नीत्व का प्रचलन है जो नारी के शोषण तथा उसके प्रति दुर्व्यहार व अत्याचार है। विशेषतः भारत के परिप्रेक्ष्य में इसका एक मुख्य आयाम यह भी है कि मुसलमान कई-कई पत्नियां रखकर अधिक सन्तानोत्पत्ति करके अपनी जनसंख्या बढ़ा रहे हैं। इस प्रकार कुछ वर्षों में वे बहुसंख्यक समुदाय बनकर देश की सत्ता अपने हाथ में कर लेना चाहते हैं।●●●ईश्वरीय धर्म मानव-इतिहासके विभिन्न चरणों में, विभिन्न भू-भागों की विभिन्न जातियों व क़ौमों के हाथों बार-बार विकरित व प्रदूषित होते-होते तथा बार-बार ईशदूतों के आगमन द्वारा सुधार प्रक्रिया जारी किए जाते-जाते, 1400 वर्ष पूर्व जब ‘इस्लाम’ के रूप में आया उस समय बहुपत्नीत्व (Polygyny) विभिन्न रूपों में विश्व को लगभग हर समाज, संस्कृति में प्रचलित था। उदाहरणतः स्वयं हिन्दू समाज की अत्यंत महत्वपूर्ण, महान आदर्णीय धार्मिक विभूतियों तथा......

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परदा-नारी जाति के प्रति अत्याचार?

इस्लाम में बहुपत्नीत्व का प्रचलन है जो नारी के शोषण तथा उसके प्रति दुर्व्यहार व अत्याचार है। विशेषतः भारत के परिप्रेक्ष्य में इसका एक मुख्य आयाम यह भी है कि मुसलमान कई-कई पत्नियां रखकर अधिक सन्तानोत्पत्ति करके अपनी जनसंख्या बढ़ा रहे हैं। इस प्रकार कुछ वर्षों में वे बहुसंख्यक समुदाय बनकर देश की सत्ता अपने हाथ में कर लेना चाहते हैं।●●●ईश्वरीय धर्म मानव-इतिहासके विभिन्न चरणों में, विभिन्न भू-भागों की विभिन्न जातियों व क़ौमों के हाथों बार-बार विकरित व प्रदूषित होते-होते तथा बार-बार ईशदूतों के आगमन द्वारा सुधार प्रक्रिया जारी किए जाते-जाते, 1400 वर्ष पूर्व जब ‘इस्लाम’ के रूप में आया उस समय बहुपत्नीत्व (Polygyny) विभिन्न रूपों में विश्व को लगभग हर समाज, संस्कृति में प्रचलित था। उदाहरणतः स्वयं हिन्दू समाज की अत्यंत महत्वपूर्ण, महान आदर्णीय धार्मिक विभूतियों तथा......

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