Islamic Fiqh Academy
www.islamdharma.org
Islamic Fiqh Academy www.islamdharma.org
  • मुख पृष्ठ
  • एकेश्वरवाद की इस्लामी धारणा
  • पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल॰)
  • इस्लाम
  • ईमान
  • क़ुरआन
  • हदीस
  • इबादत
  • शरीअत
  • English
  • 8802281236

  • ई मेल : islamdharma@gmail.com

जीवन-व्यवस्था

इस्लाम समाज में आर्थिक सुद्रढ़ता पैदा...

इस्लाम और इस्लामी समाज पर वैसे तो कई प्रकार के आरोप लगाये जाते है कि इस्लाम और इस्लामी व्यवस्था समाज में व्याप्त समस्याओं का समाधान कर सकने में असफल है। लेकिन सत्य ये है कि वो सभी आरोप निराधार हैं और जिनके समय समय पर इस्लामी विद्वानों द्वारा उनके उचित उत्तर भी दिये गये है। इस्लाम और इस्लामी जीवन व्यवस्था के सम्बंध में एक राय समाज में ये पाई जाती है कि इस्लाम चूंकि एक आसमानी धर्म है इसलिये वो लोगों को संसार से दूरी बनाने की शिक्षा देता है और इस बात की शिक्षा देता है कि लोग गरीबी में जीवन व्यतीत करें और संसार में धन सम्पदा एकत्र करने के पीछे न भागें। इस्लाम तर्क ए दुनिया यानि संसार को त्याग देने की शिक्षा देता है। इस राय पर विश्वास करके बहुत सारे ज्ञानवान लोग इस्लाम और इस्लाम के मानने वाले लोगों पर ये आरोप लगाते हैं कि इस्लाम समाज में आर्थिक रूप से सक्रिय सदस्य......

Read More

रोज़े के फ़ायदे

रोज़ा एक अनिवार्य इबादत है जिसका उद्देश्य आत्म-संयम पैदा करना और अल्लाह के समक्ष आत्म-समर्पण की भावना जागृत करना है। इस इबादत में अल्लाह ने इंसानी स्वास्थ के भी अनगिनत राज़ छिपा रखे हैं जिनका लाभ इबादत के साथ मुफ्त में मिल जाता है।इंसान आजकल स्वास्थ को लेकर बहुत चिंतित रहता है और इसके संरक्षण के नए-नए उपाय खोजने का प्रयत्न करता है। इस समय विश्व में Intermittent Fasting का ट्रेंड ज़ोरों पर है, जिसमें 16-18 घंटे कुछ भी खाने से रुके रहना होता है और अपने खाने को बचे हुए 6-8 घंटों में ही सीमित कर देना होता है। इस उपाय से मोटापा तेज़ी से कम होता है, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कई अन्य बड़ी बीमारियों जैसे Alzheimer, ह्रदय-रोग आदि में भी लाभ होता है। बार-बार कुछ न कुछ खाते रहने (snacking) से शरीर में Insulin Resistance उत्पन्न हो जाता है जिसको दूर करने में Intermittent Fasting बहुत......

Read More

अर्थव्यवस्था

इन्सान से व्यक्ति और समाज के रूप में बहुत-सी अपेक्षाएं की जाती हैं। इनमें से कुछ ऐसी ज़रूरतें हैं जिनके बिना जीवित रहना असम्भव है। कुछ आवश्यकताएं ऐसी हैं जिनके बिना कष्ट उठाकर जीवित रहना सम्भव है। इसी तरह जीवन की कुछ ज़रूरतें सुविधा के लिए हैं जो जीवन को सुख देती हैं और उसे ख़ुशहाल बनाती हैं।अल्लाह ने इन्सान की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस जगत में फैले बहुत से प्राकृतिक साधन रखे हैं जिनको उसने इन्सान के लिए वशीभूत कर दिया है और उसे इनके उपयोग पर समर्थ कर दिया है।जिस क़ौम के साधन उसकी ज़रूरतों से ज़्यादा होते हैं वह आर्थिक रूप से ख़ुशहाल होती हैं और जिस क़ौम की ज़रूरतें उसके साधन के मुक़ाबले ज़्यादा होती हैं वह आर्थिक संकट का सामना करती है। इस आर्थिक संकट का समाधान ज़रूरी है वरना आर्थिक पतन और गिरावट के नतीजे में वह दूसरे देशों से क़र्ज़ व आर्थिक सहायता लेने......

Read More

राजनीतिक व्यवस्था

राजनीतिक व्यवस्थाइस्लामी राजनैतिक व्यवस्था की बुनियाद तीन सिद्धांतों पर रखी गई है-तौहीद, रिसालत और ख़िलाफ़त। इन सिद्धांतों को भली-भाँति समझे बिना इस्लामी राजनीति की विस्तृत व्यवस्था को समझना कठिन है। इसलिए सर्वप्रथम इन्हीं की संक्षिप्त व्याख्या प्रस्तुत है।तौहीद (एकेश्वरवाद) का अर्थ यह है कि ईश्वर इस संसार और इसमें बसने वालों का स्रष्टा, पालक और स्वामी है। सत्ता और शासन उसी का है। वही हुक्म देने और मना करने का हक़ रखता है। आज्ञापाल तथा पूर्ण समर्पण वे$वल उसी के लिए है। हमारा यह अस्तित्व, हमारे ये शारीरिक अंग एवं शक्तियाँ जिनसे हम काम लेते हैं, हमारे उपयोग की वस्तुएँ तथा उनसे संबंधित हमारे अधिकार जो हमें संसार की सभी चीज़ों पर प्राप्त हैं और स्वयं वे चीज़ें जिन पर हमारा अधिकार है, उनमें से कोई चीज़ भी न हमारी पैदा की हुई है और न हमने उसे प्राप्त किया है, सबकी सब......

Read More

दाम्पत्य व्यवस्था

 इस्लामी दाम्पत्य व्यवस्था के मूल में यह विचारधारा काम करती है कि यह परिवार और समाज के सृजन की आधारशिला है। अर्थात् दाम्पत्य-संबंध के अच्छे या बुरे होने पर परिवार और समाज का; यहाँ तक कि सामूहिक व्यवस्था और सभ्यता व संस्कृति का भी; अच्छा या बुरा बनना निर्भर करता है। अतः इस बुनियाद को मज़बूत बनाने और मज़बूत रखने के काफ़ी यत्न इस्लाम ने किए हैं। मिसाल के तौर पर सबसे पहली बात, इस संबंध में पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल॰) ने यह बताई कि आमतौर पर, रिश्ते तय करने में धन-सम्पत्ति, सुन्दरता और बिरादरी व नस्ल को ही सारा महत्व दिया जाता है, लेकिन अच्छी बात यह है कि धार्मिकता (अर्थात् नेकी, अच्छे चरित्र, शील, सद्व्यवहार, ईश्वर से व्यावहारिक संबंध, सदाचार आदि) को महत्व दिया जाए।इस तरह इस्लाम आरंभ में ही दाम्पत्य जीवन को एक नैतिक दिशा दे देता है। फिर विवाह (निकाह) के अवसर पर कु़रआन की जो......

Read More

उत्तम समाज का निर्माण

उत्तम समाज के निर्माण के लिएइस्लामएकमात्र रास्ताउत्तम समाज का निर्माण...कैसे?समाज-निर्माण के बहुत से क्षेत्र हैं। वे अलग-थलग नहीं बल्कि एक-दूसरे से संलग्न और संबंधित हैं। उनमें आध्यात्मिक क्षेत्र, नैतिक क्षेत्र, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र के महत्व के अनुकूल इस आलेख में उस रास्ते की तलाश की जा रही है जो इन्सानों को उत्तम समाज के निर्माण की मंज़िल पर ले जाता है।आध्यात्मिक क्षेत्र आध्यात्मिकता इन्सान की प्रकृति में रची-बसी है। भौतिकवादी जीवन-प्रणाली के सारे भोग-विलास, ऐश व आराम सिर्फ़ शरीर को सुख देते हैं, आत्मा प्यासी रह जाती है। मानव-प्रकृति यह प्यास बुझाने के लिए व्याकुल रहती है। रहस्यवाद, सूफ़ीवाद, सन्यास, वैराग्य, संसार-त्याग (रहबानियत) और ब्रह्मचर्य आदि इसी प्यास के बुझाने के रास्ते समझे जाते हैं। लेकिन वह आत्मिक सुकून ही क्या जो दाम्पत्य, पारिवारिक......

Read More

नैतिक व्यवस्था

 मानव के अन्दर नैतिकता की भावना एक स्वाभाविक भावना है जो कुछ गुणों को पसन्द और कुछ दूसरे गुणों को नापसन्द करती है। यह भावना व्यक्तिगत रूप से लोगों में भले ही थोड़ी या अधिक हो किन्तु सामूहिक रूप से सदैव मानव-चेतना ने नैतिकता के कुछ मूल्यों को समान रूप से अच्छाई और कुछ को बुराई की संज्ञा दी है। सत्य, न्याय, वचन-पालन और अमानत को सदा ही मानवीय नैतिक सीमाओं में प्रशंसनीय माना गया है और कभी कोई ऐसा युग नहीं बीता जब झूठ, जु़ल्म, वचन-भंग और ख़ियानत को पसन्द किया गया हो। हमदर्दी, दयाभाव, दानशीलता और उदारता को सदैव सराहा गया तथा स्वार्थपरता, क्रूरता, कंजूसी और संकीर्णता को कभी आदर योग्य स्थान नहीं मिला। धैर्य, सहनशीलता, स्थैर्य, गंभीरता, दृढ़संकल्पता व बहादुरी वे गुण हैं जो सदा से प्रशंसनीय रहे हैं। इसके विपरीत धैर्यहीनता, क्षुद्रता, विचार की अस्थिरता, निरुत्साह और ......

Read More

जीवन-व्यवस्था

इस्लामी जीवन-व्यवस्थाइस्लाम-परिचय के संबंध में यह बात स्पष्ट रूप से सामने आती है कि यह सिर्फ कुछ धारणाओं, मान्यताओं, परम्पराओं, पूजा-पाठ, और रीतियों का धर्म नहीं है बल्कि एक समग्र धर्म है जो पूरी जीवन-व्यवस्था को समाहित करता है। यह सिर्फ एक जीवन-पद्धति (Way of Life) नहीं, एक जीवन संहिता (Code of Life) है। इसीलिए इस्लाम के लिए ‘मज़हब’ (धर्म,Religion) के बजाए ‘दीन’ का पारिभाषिक शब्द प्रयुक्त होता है।इस्लाम की अपनी सुनिश्चित आध्यात्मिक व नैतिक व्यवस्था भी है और सांसारिक-जीवन व्यवस्था भी। निम्न पंक्तियों में इसकी जीवन-व्यवस्था के कुछ पहलुओं पर संक्षेप में प्रकाश डाला जा रहा है।

Read More

शैक्षणिक व्यवस्था

 · ज्ञान की अवधारणा · शिक्षा संबंधी दृष्टिकोण · शैक्षणिक व्यवस्था · सहशिक्षाशिक्षा का उद्देश्य ज्ञानोपार्जन है। शैक्षणिक व्यवस्था की रूपरेखा इस बात पर निर्भर है कि ‘ज्ञान' की अवधारणा क्या है, उसके अन्तर्गत शिक्षा के संबंध में दृष्टिकोण क्या बनता है।ज्ञान की अवधारणाधर्म-उदासीन, धर्म-विहीन या धर्म-विरोधी (सेक्युलर) विचारधारा में मात्र पंचेन्द्रियाँ (Five Senses) ही ज्ञान का मूल स्रोत हैं। ऐसे ज्ञान का अभीष्ट ‘मनुष्य के व्यक्तिगत व सामूहिक हित के भौतिक संसाधनों का विकास, उन्नति तथा उत्थान' है। इसमें नैतिकता व आध्यात्मिकता के लिए कोई जगह नहीं होती। जबकि मनुष्य एक भौतिक अस्तित्व होने के साथ-साथ...बल्कि इससे कहीं अधिक...एक आध्यात्मिक व नैतिक अस्तित्व भी है। उसके अस्तित्व का यही पहलू उसे पशुओं से भिन्न व श्रेष्ठ बनाता है।ज्ञान की इस्लामी अवधारणा में......

Read More

आर्थिक व्यवस्था

 इस्लाम पूर्ण जीवन-व्यवस्था है। इस ने मानव जीन के प्रत्येक पक्ष को उत्तम से अतिउत्तम बनाने एवं परेशानियों और मुसीबतों से छुटकारा दिलाने के लिए ऐसे नियम और सिद्धांत प्रदान किए हैं कि लोक और परलोक के जीवन में अमन व शान्ति प्राप्त हो।इस्लाम ने व्यक्ति के विश्वास, आचार, दृष्टिकोण, राजनैतिक आवश्यकताओं तथा पारिवारिक एवं आध्यात्मिक जीवन के साथ-साथ उसकी आजीविका-संबंधित आवश्यक आदेश भी प्रदान किए हैं। इन आदेशों की विशेषता यह है कि जीवन के समस्त पक्ष एक-दूसरे से जुड़कर संयोजित हो जाते हैं और मनुष्य को पूर्ण अम्न व सलामती प्राप्त होती है।इस्लाम की मूल-धारणा इस तथ्य पर आधारित है कि मानव का मालिक, हाकिम, स्वामी एक, और सिर्फ़ एक अल्लाह ही है । उसने हमें अक़्ल और सूझ-बूझ दी और यह स्वतंत्रता भी दी कि हम किसी तथ्य को स्वीकार करें या अस्वीकार। इसके साथ-साथ उसने हमें जीवन......

Read More
  • PREV
  • 1 
  • NEXT

Our Link

  • ABOUT US
  • Contact Us

Contact us

  • D-321, Abul Fazl Enclve
    Jamia Nagar, New Delhi-110025

  • 8802281236

  • ई मेल : islamdharma@gmail.com

Address

2018 www-ko0z8.hosts.cx Powered by | C9Soft Pvt Ltd